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अशुभ राहु ठगी सिखाता और शनिदेव सबक

अशुभ राहु ठगी सिखाता है और शनि देव सबक

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मेरी माँ बहुत सी विद्याओं मे पारंगत थी। मेरी प्रथम गुरु ही नही थी वरन मेरे जीवन में प्रज्ञा की लौ उनके कारण ही आज तक प्रज्जवलित है। एक कहानी के माध्यम से वो हमे बताती थी कि राहु अशुभता के लक्षण क्या है और जब हम उसके जाल में फंसते है तो शनि देव सजा देते है। 

कहानी इस प्रकार है-

दो भाई थे रामू और श्यामू माता पिता बचपन में चल बसे तो उनके काका ने पाल पोसकर बड़ा किया।काका ने आजीवन विवाह नही किया।  रामू के पूर्वजन्म के ही संस्कार इतने अच्छे थे कि वो सात्विक, धार्मिक, परोपकारी और संतुष्ट था। जबकि श्यामू उसके उल्ट था क्रूर, नास्तिक, कामचोर और ठगी करता। 

काका ने सोचा कि दोनो बच्चों की शादी करा दूँ तो जिम्मेदारी के बोझ से निवृत्त हो चार धाम की यात्रा पे चला जाऊँगा। भाई-भाभी  की आत्मा भी सुख पाएगी। यह सोच दोनो का विवाह किया और दोनो को जमीन का एक एक टुकड़ दिया और चल दिया चार धाम की यात्रा पे। 

रामू जंगल मे लड़कियाँ काटने के लिये जाया करता था। सारा दिन के काम के बाद वो किसी ना किसी पेड़ के नीचे पोटली मे जो खाना बाँधकर देती उसमे से एक रोटी चिड़ियो और अन्य जानवरो मे बाँट देता और फ़िर खाता। 

जबकि श्यामू आये दिन तिकड़म लगाता कि बिना मेहनत के ठगी से कैसे कमाए। जुआ, सट्टा सब खेलता। उसकी पत्नी भी उसका साथ देती ठगी मे। 

एक दिन रामू की पत्नी ने अपने सास ससुर के श्राद्ध के लिये तैयारी करी और श्रद्धा से मालपूए खीर सब बनाए और पूजा पाठ हवन आदि कराकर और ब्राह्मणों को भोजन कराया। उसके बाद रामू को भोजन की पोटली बनाकर दी, वो निकल पड़ा जंगल। उस दिन रामू जंगल मे भटक गया। और किसी गुफा मे जा पहुँचा। उसने सोचा कि भूख लगी है भोजन ही कर लुँ। अपनी आदत के अनुसार उसने एक रोटी निकालने की सोची तो पोटली खोलते ही मालपूओ की महक चारो और फैल गई। 

उसे कुछ आवाज़े आई कि रामू अहा क्या लाए हो हमे भी दो ना खाने को। रामू ने चारो तरफ सर घुमाया कोई ना दिखा। उसकी धोती किसी ने खींची तो देखा कि कुछ बौने थे और उसकी धोती खींच रहे थे और प्रेम से उसकी तरफ़ देख रहे थे। वो घबराया नही और उसने विनम्रता से पूछा कि आप लोग कौन है और आपका कद इतना छोटा कैसे और मेरा नाम कैसे जानते है? 

बौने बोले कि हमें श्राप मिला था जिसके कारण हम ऐसे हो गए है क्योकि हमने हमारे गुरु से गुप्त ज्ञान लिया किंतु उनके साथ छल किया उनकी जादुई चक्की ले ली तो उन्होने श्राप दिया कि आप लोग बौने बन जाओगे और मेरी सिखाई विद्या का प्रयोग नही कर पाओगे। हमने क्षमा माँगी तो बोले कि ठीक है जिस दिन कोई पवित्र और परोपकारी व्यक्ति तुम्हे भोजन कराएगा और तुमने जो छल से मेरी जादुई चक्की ली है उसको दोगे तो तुम्हे मुक्ति मिल जाएगी। 

रामू ने उनको सारे मालपूए खिला दिये और वो जाने लगा तो वो बोले कि यह चक्की तो ले जाओ और इससे जो माँगोगे यह सब देगी किंतु इसको चलाने और बंद करने के दो अलग़ अलग़ मंत्र है वो भी सीख लो। 

रामू ने वो चक्की ली और घर आ गया उसने चक्की को छुपा के रख दिया और रोज़ रात को उसे चलाता और जितना आवश्यक होता वो उससे सामान माँगता। उससे वो लोगो का परोपकार भी करने लगा। लेकिन उसने जंगल जाना नही छोड़ा और लड़की काटकर ही अपनी आवश्यकता पूरी करता। चक्की से वो बस लोगो का भला करने लगा। देखते ही देखते उसकी ख्याती दूर दूर तक फैल गई। तब तक श्यामू अपने जुए और ठगी की आदतो से बहुत ऋण चढ़ा चुका था और उसकी ज़मीन भी बिक गई थी।उसकी पत्नी अपने बच्चो को लेकर मायके चली गई थी। 

उसको जब पता चला भाई रामू के पास बहुत धन है जिससे वो लोगो का भला कर रहा है तो उसने सोचा कि गुप्त तरीके से पता लगाया जाए और उसने एक दिन आधी रात को रामू के घर मे उसके कमरे के झरोखे मे देखा कि वो किसी जादुई चक्की को चला रहा है। वो समझ गया कि यह है उसकी अमीरी का रहस्य और उसने अगली रात उसको चोरी की योजना बनाई। 

अगले दिन वो चोरी करके भाग गया और मन मे सोचा कि क्यो ना दूसरे राज्य चला जाऊँ यह विचार करके वो चल दिया और दूसरे राज्य जाने के लिये उसको नदी पार करनी थी उसने एक नाव ली और चक्की ली, ख़ुशी के मारे ठहाके लगाता हुआ सवार हुआ। मन मे उसके लड्डू फूट रहे थे कि अब तो मै बहुत अमीर हो जाऊंगा, संसार पे राज़ करूंगा और हज़ारो रानियाँ, नौकर-चाकर सब होगें। 

रास्ते मे जब वो बीच नदी मे था उसको भूख लगी उसने सोचा क्यो न चक्की से माँग लुँ और ठंड है तो एक कम्बल भी। उसने चक्की चालू करने का मंत्र बोला और माँगा। चक्की ने खाना और कंबल दिया लेकिन रूकने का नाम न ले। वो चिल्लाया कि बस अब नही। लेकिन उसे क्या पता था कि चक्की बंद करने का भी मंत्र है। देखते देखते नाव कंबलो के ढेर से व भोजन से भर गई। वो चिल्लाता रहा और ईश्वर को पुकारता रहा। लेकिन राहु के जाल मे फंस तो गया था और अब शनि देव की सजा पाने के लिये तैयार था। आखिर नाव के साथ चक्की और वो भी डूब गए और मगरमच्छो का वो शिकार हो गया। 

मै टकीटकी लगाए माँ की यह कहानी सुनती थी वो रात को हमे सुलाते हुए यह कहानियाँ सुनाती थीं, हमे असल मे वो अच्छे संस्कार दे रही होती थी। जिसका इतना गहरा असर हम भाई बहनो पे पड़ा कि हम पूछते “तो शनि देव किसपे नाराज़ नही होते और कृपा बरसाते है।” वो बोलती रामू जैसे दयालु, मेहनती और परोपकारी को शनि देव जादू की चक्की देते है और श्यामू जैसे ठगो और चोरो को सजा देते है जो रामू को हानि पहुँचाते है। 

मुझे भी अब यह समझ आ गया कि पोस्ट की चोरी या चोरी के ज्ञान मे एक मंत्र तो कोई ले जाता है किंतु असली मंत्र तो रामू के पास ही होता है। और जीवन के प्रत्येक पहलु में भी यह बात लागु होती है कि शनि देव किसको जीवन मे सुख देते है जो राहु के जाल मे नहीं फँसता है। 

जय श्री कृष्णा 😊🙏🏼🙏🏼

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