यदि यह योग है आपकी कुंडली में तो सतर्क हो जाएं
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अष्टमेश व षष्ठेश शुभ ग्रहों के साथ किसी भी भाव में हों तो जातक को जीवन भर संघर्ष के साथ ही शत्रुओं से भी संघर्ष करना पड़ता है।
विशेषत: यह युति यदि चतुर्थ भाव मे हों तो इस योग के दुष्प्रभाव की प्रबलता और बढ़ जाती है।
लग्न में यह युति घातक परिणाम देती है।
लग्न व लग्नेश कमज़ोर होने से इस योग के दुष्प्रभाव मिलते ही हैं तब योग अति घातक हो जाता है।
इस योग के प्रभाव में अन्य ग्रहों की दृष्टि, अंश बल से अंतर हो सकता है। अरिष्ट निवारक योग से संघर्ष में कमी आती है।
चलित कुंडली में यह योग न हो तो इसका दुष्प्रभाव नगण्य हो जाएगा।
-श्रुति आरोहन-तरुणा
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जय श्री कृष्णा 😊🙏🏼🙏🏼
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